अंबाला के बेटे कैप्टन इंदरजीत सिंह का गुवाहटी में हुआ देहांत सैन्य सम्मान के साथ अंबाला में हुआ अंतिम संस्कार   

कैप्टन इंदरजीत सिंह की अंतिम यात्रा में शामिल उन्हीं की दोस्त दलजीत सिंह ने बताया की कैसे एक सिपाही के रूप में भर्ती हुए जवान ने अपने जज्बे और मेहनत से सिपाही से कैप्टन तक का सफर मात्र दो साल में पूरा कर लिया। कैप्टन इंदरजीत सिंह की अंतिम यात्रा में हरियाणा सरकार में निवर्तमान मंत्री अनिल विज भी शामिल हुए और उन्हें अपनी श्रद्धांजलि दी।

अंबाला के बेटे कैप्टन इंदरजीत सिंह का गुवाहटी में हुआ देहांत सैन्य सम्मान के साथ अंबाला में हुआ अंतिम संस्कार   

  सेना में ड्यूटी के दौरान मौत का ग्रास बने  कैप्टन इंदरजीत सिंह का अंतिम संस्कार आज पूरे सैन्य सम्मान के साथ अंबाला छावनी के बब्याल में किया गया।  कैप्टन इंदरजीत सिंह के अंतिम संस्कार में सेना के आलाधिकारियों के इलावा , प्रशासनिक अधिकारी और हरियाणा सरकार में निवर्तमान अनिल विज भी मौजूद रहे।   आर्मी की टुकड़ी ने अपने साथी को बंदूकों की सलामी दी , उनके पार्थिव शरीर  से लिपटे तिरंगे को उनकी धर्मपत्नी को सौंपा और  विधिवत रूप से सैन्य सम्मान  के साथ उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी। अरूणाचल प्रदेश में चीन बोर्डर  के साथ दुर्गम चोटियो एवं बर्फीले क्षेत्र में सेना की 22 बटालियन की माहार रजिमेंट में 32 वर्षीय  कैप्टन इंदरजीत सिंह अपनी पूरी निष्ठां के साथ  देश की सेवा कर रहे थे लेकिन इसी बीच कैप्टन इंदरजीत सिंह की तबियत बिगड़ गई  और फिर उन्हें गुवाहाटी के अपोलो अस्पताल में भर्ती किया गया ,  जहां पर उनकी उपचार के दौरान मौत हो गई। इन्दरजीत सिंह का पार्थिव शरीर जैसे ही अंबाला पहुंचा तो पूरे शहर में शोक की लहर दौड़ गई।  कैप्टन इंदरजीत की माँ की करुण  पुकार , उनके पार्थिव शरीर को सलाम करती उनकी धर्मपत्नी की तस्वीरें और अपने पिता के पार्थिव शरीर से लिपटे उनके पांच साल के बेटे की तस्वीरों  ने सभी को भावुक कर दिया।  आखिर में कैप्टन इंदरजीत के छह  साल के बेटे इशप्रीत ने अपने छोटे छोटे हाथों से अपने पिता को मुखाग्नि दी।  सेना में तैनात इंदरजीत की माँ बलवंत कौर को बेटे के जाने का दुख है , लेकिन वह चाहती हैं की हर माँ को इंदरजीत जैसा बेटा मिले जो माँ बाप का नाम रौशन करे।  कैप्टन इंदरजीत सिंह की अंतिम यात्रा में शामिल उन्हीं की  दोस्त दलजीत सिंह ने बताया की कैसे एक सिपाही के रूप में भर्ती हुए जवान ने अपने जज्बे और मेहनत से सिपाही से कैप्टन तक का सफर मात्र दो साल में पूरा कर लिया।  कैप्टन इंदरजीत सिंह की अंतिम यात्रा में हरियाणा सरकार में निवर्तमान मंत्री अनिल विज भी शामिल हुए और उन्हें अपनी श्रद्धांजलि दी।