जादूगर ने अपने जादू के हुनर से किसानों को किया जागरूक...

इफको करनाल द्वारा “नैनो यूरिया (तरल) जागरूकता अभियान” के तहत इंद्री के गांव बुढ़नपुर खालसा में जादूगर शो का आयोजन किया गया। कार्यकम में बतौर मुख्य अतिथि ओमकार सिंह (उप महा प्रबन्धक) इफको चंडीगढ़ मौजूद रहे व बतौर विशिष्ट अतिथि नत्था सिंह (नम्बरदार ग्राम बुढ़नपुर खालसा) व श्री कुलधीर सिंह(पूर्व सरपंच ग्राम बुढ़नपुर खालसा) मौजूद रहे। कार्यकम में डॉ निरंजन(क्षेत्र प्रबन्धक इफको करनाल), मोहित ढूकिया(कनिष्ठ क्षेत्र प्रतिनिधि,इफको करनाल), रामकुमार मदान(प्रबन्धक सी एस बुढ़नपुर खालसा) व 250 से अधिक किसान भाई मौजूद रहे।

जादूगर ने अपने जादू के हुनर से किसानों को किया जागरूक...

Indir (Mainpal Kashyap) || इफको करनाल द्वारा “नैनो यूरिया (तरल) जागरूकता अभियान” के तहत इंद्री के गांव बुढ़नपुर खालसा में जादूगर शो का आयोजन किया गया। कार्यकम में बतौर मुख्य अतिथि  ओमकार सिंह (उप महा प्रबन्धक) इफको चंडीगढ़ मौजूद रहे व बतौर विशिष्ट अतिथि  नत्था सिंह (नम्बरदार ग्राम बुढ़नपुर खालसा) व श्री कुलधीर सिंह(पूर्व सरपंच ग्राम बुढ़नपुर खालसा) मौजूद रहे। कार्यकम में डॉ निरंजन(क्षेत्र प्रबन्धक इफको करनाल),  मोहित ढूकिया(कनिष्ठ क्षेत्र प्रतिनिधि,इफको करनाल), रामकुमार मदान(प्रबन्धक सी एस बुढ़नपुर खालसा) व 250 से अधिक किसान भाई मौजूद रहे। कार्यकम की शुरुआत करते हुए डॉ निरंजन ने सभी का स्वागत किया। कार्यक्रम में आगे बढ़ते हुए जादूगर अशोक सम्राट जी ने भिन्न भिन्न प्रकार के जादू के प्रदर्शन से नैनो यूरिया के बारे में किसानों को जागरूक किया।  उन्होने नैनो बैनर से नैनो को बोटल बनाकर का करतब सहित अनेकों जादु के करतव किसानों को दिखाये।

डिप्टी जर्नल मैनेजर इफ्को हरियाणा ओमकार सिंह ने कहा   की इफको नैनो यूरिया (तरल) दुनिया  का पहला नैनो तकनील पर आधारित उर्वरक है जिसकी उच्च उपयोग दक्षता (> 80%) के कारण पौधों  को उपलब्ध होने वाले नाइट्रोजन की मात्रा में वृद्धि करता है। महत्वपूर्ण विकास चरणों में जब पौधों की  पत्तियों पर छिड़काव किया जाता है, तो यह रंध्रों और अन्य छिद्रों के माध्यम से प्रवेश करता है और पौधे की कोशिकाओं द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है।  उपयोग के बाद बचे हुए नाइट्रोजन पौधे में संग्रहित हो जाते हैं और पौधे की उचित वृद्धि और विकास के लिए धीरे-धीरे उपयोग में आते हैं। उन्होने नैनो यूरिया तरल के उपयोग हेतू अपील की एवं उन्होंने बताया जहां परम्परागत यूरिया जिसकी कीमत 266.50 रुपए प्रति थैला है जो किसान अदा करता हैं उसके अलावा  उस पर भारी रकम की सब्सिडी होती है जो कि भारत सरकार द्वारा अदा की जाती है लेकिन नैनो यूरिया तरल बिना किसी अनुदान के परंपरागत यूरिया से 10 प्रतिशत सस्ता है जिसकी कीमत 240 रुपए प्रति 500 ml बोतल है तथा फसल में इसकी उपयौगिक दक्षता 85 से 90 प्रतिशत है जो परंपरागत यूरिया से अधिक कारगर है जिसकी उपयोगिक दक्षता केवल 25 प्रतिशत है बाकी 75 प्रतिशत भूमिगत जल व वातावरण प्रदूषित करता है। नैनो यूरिया तरल का प्रयोग 4 ml प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर पत्तो पर छिड़काव द्वारा किया जाता है जिससे किसी भी तरह का कोई प्रदूषण नहीं होता ।  उन्होने बताया की नैनो युरिया के साथ सागरिका  के उपयोग से फ़सल में‌ दुगना फ़ायदा होता‌ है। डा निरंजन सिंह नें बताया की इफको नैनो यूरिया तरल आत्मनिर्भर भारत में आत्मनिर्भर कृषि को बढ़ावा देने के लिए इफको की देन है जिसका 11000 किसानों के खेतो में इस्तेमाल करने के बाद यह पाया गया है कि 500 ml की बोतल 1 कट्टा यूरिया से ज्यादा पैदावार करने में सक्षम है। इफको नैनो यूरिया कम खर्चीला और अधिक लाभ प्रदान करने वाला अनुपम उत्पाद है। इसके उपयोग से पैदावार में अच्छी बढोतरी होती है। जिससे किसान पहले के मुकाबले और अधिक आय अर्जित कर सकते हैं । कार्यक्रम में दी गयी जानकारी से सम्बंधित कुछ प्रश्न भी किसान भाइयों से पूछे गये, व सही उत्तर देने वाले किसान भाइयों को सम्मानित भी किया गया।