दिल्ली के सरकार के संजय गांधी अस्पताल में लापरवाही से 12 साल की मासूम की अस्पताल में मौत...

दिल्ली के सरकार के संजय गांधी अस्पताल पर लगे इलाज में लापरवाही के गंभीर आरोप, 12 साल की मासूम की अस्पताल में मौत। राजधानी दिल्ली के सरकारी अस्पताल पर लगा मासूम के इलाज में लापरवाही का आरोप, सरकारी अस्पताल में हुई बच्ची की मौत, दिल्ली के मंगोल पूरी स्थित संजय गाँधी की घटना, परिवार का आरोप कई दिन से इलाज करने के बावजूद भी संजय गांधी अस्पताल में नही किया गया भर्ती ।

दिल्ली के सरकार के संजय गांधी अस्पताल  में लापरवाही से 12 साल की मासूम की अस्पताल में मौत...

जिसके बाद प्राइवेट अस्पताल में करना पड़ा भर्ती, जहां बच्ची की हालत में सुधार न होने के बाद निजी अस्पताल ने किया रेफर। परिजनो के संजय गांधी अस्पताल में ले जाने के बाद समय पर इलाज न मिलने पर हुई मौत, पीड़ित परिवार लगा रहा है प्रशासन से न्याय की गुहार। बोर्ड के तहत होगा बच्ची के शव का पोस्टमार्टम। Image source- Google

इस मासूम बच्ची का नाम ब्यूटी है जिसकी उम्र बारह साल है और छठी क्लास में पढ़ती थी। लेकिन अब ये इस दुनिया मे नही रही, बच्ची के परिजनों ने बताया कि पिछले करीब 15 दिन से बच्ची की तबियत कुछ खराब थी, जिसके चलते पहले उसका इलाज पास के ही एक डॉक्टर से चल रहा था, और बीती 16 तारीख को बच्ची के परिजन उसे संजय गांधी अस्पताल लेकर पहुँचे और फिर अगले कई दिन तक वो उसे रोज़ अस्पताल ले जाते पर डॉक्टर्स ने बच्ची को भर्ती नही किया। जबकि पीड़ित परिवार ने कई बार डॉक्टर्स से निवेदन भी किया। वही बच्ची की हालत बिगड़ती देख बीते वीरवार को आखिरकार परिवार ने बच्ची को घर के पास स्थित अमन विहार के प्राइवेट नर्सिंग होम में भर्ती कराया जहाँ डॉक्टर्स ने उसे 2 यूनिट प्लेटलेट्स भी चढ़ाया, पर उसकी हालत में सुधार न होते देख निजी अस्पताल के डॉक्टर्स ने बच्ची को किसी बड़े अस्पताल के लिए रेफर कर दिया। जिसके बाद परिवार आनन फानन में बच्ची को संजय गांधी अस्पताल लेकर पहुँचा। जहां उन्हें एक जगह से दूसरी जगह भेज दिया गया जहां समय पर इलाज न मिलने के कारण बच्ची ने अस्पताल में ही दम तोड़ दिया।

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बच्ची के पिता के अनुसार मृतक बच्ची IPS अधिकारी बनना चाहती थी, लेकिन अब बच्ची के पिता का कहना है कि अगर समय रहते पहले ही संजय गांधी अस्पताल में डॉक्टर्स उसे भर्ती कर लेते तो उसकी जान बच सकती थी औऱ मासूम बीयूटी जिंदा होती। और शायद बड़े होकर पुलिस अधिकारी बनने अपने सपने को साकार कर पाती। लेकिन अब एक तरफ जहां उसकी मौत के बाद से परिवार में मातम पसरा हुआ है वहीं दूसरी तरफ परिजनों का रो रोकर बुरा हाल है। पिता को समझ नही आ रहा की वो अब करें तो क्या करें, जाएं तो कहाँ जाये। क्योंकि उनकी फूल जैसी बेटी अब उन्हें अलविदा कह चुकी है। वहीं जब हमने इस बाबत संजय गांधी अस्पताल प्रशासन से बात की तो अस्पताल के MS ने बताया कि वो अपने स्तर पर मामले की जांच करेंगे, साथ ही कहा कि बच्ची की हालत यहां लाने से पहले से ही काफी खराब थी, और हो सकता है कि जब पहले बच्ची को दिखाया गया था तो उस समय उसकी हालत ठीक हो क्योंकि अगर बच्ची की हालात पहले ही खराब होती तो डॉक्टर्स उसे जरूर एडमिट करते। ऐसे में जाहिर है कि बच्ची की हालत बाद में खराब हुई होगी।

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बरहाल मंगोल पूरी पुलिस ने मामला संज्ञान में आने के बाद बच्ची के शव को सुरक्षित मोर्चरी में रखवा दिया है, और बोर्ड के तहत पोस्टमार्टम करवाने के लिए आगे की कार्यवाही शुरू कर दी है। लेकिन परिजनों का अपनी बच्ची को खोने के बाद रो रोकर बुरा हाल है। वहीं अब पीड़ित परिजन प्रशासन से न्याय की उम्मीद कर रहे हैं। और देखना होगा कि अब प्रशासन अपने सरकारी अस्पताल के खिलाफ क्या कार्यवाही करता है। वहीं इस घटना ने दिल्ली सरकार के बेहतर स्वाथ्य सेवाएं देने के दावों की भी सच्चाई ज़माने ला दी है।