धनखड़ी या अल्वा कौन होगा अगला उपराष्ट्रपति ?

मौजुदा उपराष्ट्रिपति एम वैंकैया नायडू का कार्यकाल 10 अगस्त को समाप्त हो रहा है, संसद के दोनों सदनों के सदस्य शनिवार यानी आज भारत के अगले उपराष्ट्रपति का चुनाव करने के लिए मतदान कर रहे हैं। जिसके नतीजे शाम 7 बजे आने वाले हैं।

धनखड़ी या अल्वा कौन होगा अगला उपराष्ट्रपति ?

Delhi || Riya Sharma || मौजुदा उपराष्ट्रिपति एम वैंकैया नायडू का कार्यकाल 10 अगस्त को समाप्त हो रहा है, संसद के दोनों सदनों के सदस्य शनिवार यानी आज भारत के अगले उपराष्ट्रपति का चुनाव करने के लिए मतदान कर रहे हैं।  

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, ग्रह मंत्री अमित शाह और कांग्रेस नेता मनमोहन सिंह संसद भवन में वोट देते हुए नज़र आ रहे है। इसी के साथ NDA यानी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने उपराष्ट्रपति के चुनाव के लिए पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ी को उम्मिदवार बनाया। और वहीं दुसरी ओर विपक्ष के लिए मार्गरेट अल्वा को चुना गया। उपराष्ट्रपति के चुनाव सुबह 10 बजें से ही शुरु हो गए थे। और आज ही चुनाव के नतीजें भी आ जाएंगे।


देश का संविधान एक उपराष्ट्रपति को देश की दो भूमिका का पद सौंपता है पहला यह कि उपराष्ट्रपति देश की कार्यपालिका का दुसरा मुखिया होता है और दुसरा यह कि वो संसद के राज्यसभा के सभापति होते हैं इसके अलावा भी कुछ भूमिकाएं हैं जो कुछ स्थिती में निभानी पड़ती है जैसे अगर राष्ट्रपति का पद किसी वजह से ख़ाली हो जाए तो यह ज़िम्मेदारी उपराष्ट्रपति को ही निभानी पड़ती है क्योंकि राष्ट्र प्रमुख के पद को ख़ाली नहीं रखा जा सकता। ऐसी और भी कई भूमिकाएं निभानी पड़ती है। 

आज देश के 14वें उपराष्ट्रपति का चुनाव हो रहा है जिसमें निर्वाचक-गण में राज्य सभा से 233 निर्वाचित सदस्य, 12 मनोनीत सदस्य और लोक सभा से 543 निर्वाचित सदस्य यानि 788 सदस्य होंगे।आज देश के 14वें उपराष्ट्रपति का चुनाव हो रहा है जिसमें निर्वाचक-गण में राज्य सभा से 233 निर्वाचित सदस्य, 12 मनोनीत सदस्य और लोक सभा से 543 निर्वाचित सदस्य यानि 788 सदस्य होंगे। 


71 वर्षीय जगदीप धनखड़ी राजस्थानी जाट नेता है जिन्होने अपनी पुरी पढ़ाई राजस्थान में ही की है। इस चुनाव में उन्हें जनता दल,YSRCP, BSP, AIADMK और शिव सेना जैसी क्षेत्रीय दलों के समर्थन की वजह से यह अनुमान लगाया जा रहा है की धनखड़ी 515 वोटों से जीत सकते है। 

  
80 वर्षीय मार्गरेट अल्वा कांग्रेस अनुभवी है जिन्होने राजस्थान और उत्तराखंड के राज्यपाल के रूप में कार्य किया है। इस चुनाव में उन्हें आम आदमी पार्टी, झारखंड मुक्ति मोर्चा और तेलंगाना राष्ट्र समिति से 200 मतदान हासिल कर सकती है। जाहिर तौर पर दोनों विपक्षीयों के समर्थन को देखते हुए कह सकते है की विपक्षी खेमा एक फिर बंटा हुआ है।  
अब देखने वाली बात तो यह होगी की संसद में कांग्रेस के बाद दोनों सदनों में 39 सांसदों के साथ दूसरी सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने वोट से दूर रहने का फैसला किया है जिस वजह यह सवाल है की क्या विपक्ष फिर से क्रॉस वोटिंग से मारा जाएगा जैसा कि पिछले महीने राष्ट्रपति चुनाव में देखा गया था।